Markandey Mahadev
Mandir
MARKANDEY MAHADEV MANDIR KAITHI
Best place for tourists to know about the history of this Markandey Mandir.
ABOUT MARKANDEY MANDIR
Markandey Mahadev MandiR is located at Kaithi, Varanasi, Uttar Pradesh. One of the most famous Mandir and has great Historical importance in Hinduism. Best place for tourists to know about the history of this Markandey Mandir. Really beautiful & Peaceful place for visitors;
PRODUCTS - ASK YOUR QUESTION
Book me for an appointment, and let's have a chat.
विवाह हेतु संपर्क करें
मुहूर्त निकालने की प्रक्रिया सबसे सरल है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए किसी पंडित या ज्योतिषाचार्य से एक बार जरूर चर्चा करनी चाहिए। शादी विवाह के लिए संपर्क करें
संतान गोपाल मंत्र
संतान गोपाल मंत्र - ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।। अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें 9889355819
महामृत्युंजय जाप
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति;
जनेऊ संस्कार
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।। अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें 9889355819
Story: Markandey Mahadev Mandir
वाराणसी के कैथी मारकण्डेय महादेव जहाँ पर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ती के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था
मार्कंडेय महादेव मंदिर वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग के दाहिनी ओर कैथी गांव में स्थित है इसे काशीराज दिवोदास की बसाई दूसरी काशी भी कहते है l
मार्कण्डेय महादेव मंदिर की मान्यता है कि 'महाशिवरात्रि' और उसके दूसरे दिन श्रीराम नाम लिखा बेल पत्र अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर को महामृत्युंजय मंदिर भी कहा जाता है।
यह मंदिर कितना पुराना है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है | इस मंदिर में राजा दशरथ ने भी पूजा अर्चना की थी तो इसी से यह अनुमान लगाया जा सकता हैं की यह मंदिर रामायण काल से भी पुराना है |श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष है और इस धाम कि चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गयी है |यह पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में से एक है।
श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष है और इस धाम कि चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गयी है |यह पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में से एक है। गंगा-गोमती के तट पर बसा ‘कैथी’ गाँव मारकण्डेय जी के नाम से विख्यात है। प्राचीन काल में यहाँ का तपोवन काफ़ी विख्यात रहा है। यह गर्ग, पराशर, श्रृंगी, उद्याल आदि ऋषियों की तपोस्थली रहा है। इसी स्थान पर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ती के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था, जिसके परिणाम स्वरूप राजा दशरथ को पुत्र प्राप्त हुआ था। यही वह तपोस्थली है, जहाँ राजा रघु द्वारा ग्यारह बार ‘हरिवंशपुराण’ का परायण करने पर उन्हें उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ था। हरिवंशपुराण’ का परायण तथा ‘संतान गोपाल मंत्र’ का जाप कार्य सिद्धि के लिए विशेष मायने रखता है। पुत्र इच्छा पुर्ति के लिए इससे बढ़ कर सिद्धपीठ स्थान कोई दूसरा नहीं है। मारकण्डे महादेव’ के इस तपोस्थली पर हर समय पति-पत्नि का जोड़ा पीत वस्त्र धारण कर गाठ जोड़े पुत्र प्राप्ति के लिए ‘हरिवंशपुराण’ का पाठ कराते हैं। इस जगह आकर पूजा-अर्चना के बाद लोगों को मनोकामना सिद्धि मिलती है।
पौराणिक कथा के अनुसार मृगश्रृंग नाम के एक ऋषि थे जिनका बिवाह सुबृत्ता नामक धार्मिक कन्या के संग हुवा था . कालांतर में मृगश्रृंग और सुबृत्ता के घर एक पुत्र का जन्म हुवा | यद्द्यपि मृगश्रृंग का यह पुत्र काफी तेजोमय था पर वह हमेशा अपने शरीर को खुजलाता रहता था इस कारण ऋषि मृगश्रृंग ने अपने उस पुत्र का नाम मृकंडु रख दिया | पिता मृगश्रृंग के सानिध्य में रहकर बालक मृकंडु ने वेदो का अध्ययन किया और हर विधाओ में पारंगत हुवा | विद्याध्ययन के उपरांत ऋषि मृगश्रृंग ने अपने पुत्र मृकंडु का विवाह मरुदवती नामक एक सुशील एबं धर्मपरायण कन्या से करवा दिया |
मृकंडु और उनकी पत्नी मरुदवती दोनों जब विवाह के काफी समय के उपरांत भी कोई सन्तान नहीं हुवा तो तो दोनों दुखी रहने लगे, तब वे दंपत्ति नैमिषारण्य, सीतापुर में जाकर तपस्यारत हो गये । वहाँ नैमिषारण्य, सीतापुर में बहुत-से ऋषि भी तपस्यारत थे। वे लोग मृकण्ड ऋषि को देख कर अक्सर ताना स्वरूप कहते थे कि- “बिना पुत्रो गति नाश्ति” अर्थात “बिना पुत्र के गति नहीं होती।” मृकण्ड ऋषि को यह सुनकर बहुत ग्लानी होती थी। वे पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ सीतापुर छोड़कर विंध्याचल चले आये। वहाँ इन्होंने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या प्रारम्भ की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का रास्ता बताया कि आप शंकर जी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करके पुत्र प्राप्त कर सकते हैं। इस बात से प्रसन्न होकर मृकण्ड ऋषि गंगा-गोमती के संगम तपोवन ‘कैथी’ जाकर भगवान शंकर की घोर उपासना में लीन हो गये।
प्राचीनकाल में यह स्थान अरण्य ( जंगल , वन ) था जो कि वर्तमान में कैथी ( चौबेपुर,वाराणसी,उत्तरप्रदेश ) नाम से प्रसिद्ध है l कुछ वर्षों बाद प्रसन्न होकर शंकर जी ने उन्हें दर्शन दिया और वर माँगने के लिए कहा। मृकण्ड ऋषि ने याचना की कि- “भगवान मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो।” इस पर भगवान शिव ने कहा- “तुम्हें दीर्घायु वाला अनेक गुणहीन पुत्र चाहिए या फिर अल्पायु वाला एक गुणवान पुत्र।” मुनि ने कहा कि- “प्रभु! मुझे एक गुणवान पुत्र ही चाहिए।” समय आने पर मुनि के यहाँ पुत्र रत्न का जन्म हुआ , जिसका नाम मारकण्डेय रखा गया l बालक को मृकण्ड ऋषि ने शिक्षा-दिक्षा के लिए आश्रम भेजा।
वक्त बीतने के साथ बालक की अल्प आयु की चिन्ता मृकण्ड ऋषि को सताने लगी। दोनों दम्पत्ति दुःखी रहने लगे।मार्कण्डेय जी को माता-पिता का दुःख न देखा गया। वे कारण जानने के लिए हठ करने लगे। बाल हठ के आगे विवश होकर मृकण्ड ऋषि ने पुत्र को उसके जन्म से जुड़ा सारा वृतान्त सुना दिया। मारकण्डेय समझ गये कि परमपूज्य ब्रह्मा की लेखनी को मिटा कर जब भगवान शंकर के आशिर्वाद से वे पैदा हुए हैं, तो इस संकट में भी शंकर जी की ही शरण लेनी चाहिए। मारकण्डेय जी पावन गंगा-गोमती के संगम पर बैठ कर घनघोर तपस्या में लीन हो गये।वे बालू की प्रतिमा बनाकर शिव पूजा करते हुए उनके उम्र के बारह साल बीतने को आये। एक दिन यमराज ने बालक मारकण्डेय को लेने के लिए अपने दूत को भेजा। भगवान शंकर की तपस्या में लीन बालक को देख यमराज के दूत का साहस टूट गया। उसने जाकर यमराज को सारा हाल बताया। तब जाकर यमराज स्वयं बालक को लेने भैंसे पर सवार होकर आये।
जब यमराज बालक मारकण्डेय को लेने आये, तब वह शंकर जी की तपस्या में लीन थे तथा भगवान शंकर व माता पार्वती अदृशय रूप में उनकी रक्षा के लिए वहाँ मौजूद थे l यमराज का त्रास देखकर भगवान शंकर भक्त की रक्षा करने हेतु प्रकट हो गये और उन्होंने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा , मुझसे पहले उसकी पूजा की जायेगी l भगवान शिव ने मार्कंडेय के जीवन को बचाया और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी का आशीर्वाद दिया और साथ ही कहा कि वह हमेशा सोलह साल के रहेगें। उस दिन, भगवान शिव ने घोषणा की थी, कि उनके भक्त हमेशा यम की रस्सी से सुरक्षित रहेंगे। भगवान शिव की ज्वलंत उपस्थिति (जो मार्कंडेय को बचाने के लिए प्रकट हुई थी) को कलशमहारा मूर्ति कहा जाता है। उस समय भगवान भोलेनाथ ने अपने परम भक्त मारकण्डेय से कहा कि आज से जो भी श्रद्धालु या भक्त मेरे दर्शन को इस धाम में आयेगा वह पहले तुम्हारी पूजा करेगा उसके बाद मेरी। तब से यह आस्थाधाम मारकण्डेय महादेव के नाम से विख्यात हुआ और तभी से उस जगह पर मारकण्डेय जी व महादेव जी की पूजा की जाने लगी और तभी से यह स्थल ‘मारकण्डेय महादेव तीर्थ धाम’ के नाम से प्रसिद्द हो गया l
यहाँ “कैथी” गांव में भारत वर्ष के दूर-दराज के कोने कोने से लोग पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर आते है l इस स्थल पर पति-पत्नी का जोड़ा पीत वस्त्र धारण कर पुत्र प्राप्ति के लिए ‘हरिवंशपुराण’ का पाठ कराते हैं।
मार्कण्डेय महादेव मंदिर में त्रयोदशी (तेरस) का भी बड़ा महत्व होता है। यहां पर पति के दीर्घायु की कामना को लेकर भी सुहागिन औरते आती है। यहां महामृत्युंजय, शिवपुराण , रुद्राभिषेक, व सत्यनारायण भगवान की कथा का भी भक्त अनुश्रवण करते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां दो दिनो तक अनवरत जलाभिषेक करने की परम्परा है।
धन्यवाद....
FAQs
Checkout information regarding Mahadev Mandir..!!
Location of Markandey Mahadev Mandir:
Markandey Mahadev temple is located at Kaithi in Varanasi, Uttar Pradesh. t is 8 Kms from Aurihar Railway Station. From road transport it is 28 kms from Varanasi on Varanasi-Ghazipur Highway.
How to reach Markandey Mahadev Mandir in Varanasi:
Generally auto or taxies can be taken to reach here. If need a private tour, then you can hire a private cab/taxi.
Timing of Markandey Mahadev Mandir:
Opening time of the temple is: 4:00 AM to 11:00 PM.
Best Time to Visit Shri Markandey Mahadev Mandir:
You can visit any Markandey Mandir when you want but October to March is best time to visit the Markandey Mahadev Mandir.
What one can enjoy at Markandey Mahadev Mandir in Varanasi :
If u are a bit spiritual you can meditate here without any interruption. If you wish to explore through depth of Hinduism you can mingle with locals and find out more beliefs among them regarding temple and a lot.
Reach Out
Contact 9889355819 to get more information about Shri Markandey Mahadev Mandir!
Shri Markandey Mahadev Mandir, Kaithi, Varanasi, Uttar PradeshMonday to Sunday (4:00 AM to 11:00 PM)988-935-5819
About Us
Welcome to Shri Markandey Mahadev Mandir Kaithi!
Google My Business/Map
https://goo.gl/maps/1p4grW922U3XfgU68
https://g.page/r/CQGU4sWBkltAEAE?gm
Contact Us
988-935-5819
markandeymahadevmandir@gmail.com
© 2021. Markandey Mahadev Mandir